१.१६ – अनन्तविजयं

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

< < अध्याय १  श्लोक १५ 

श्लोक

अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिर :।
नकुलः सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ ॥

पद पदार्थ 
कुन्ती पुत्र: – कुन्ती का पुत्र
राजा – और राजा
युधिष्ठर: – धर्मपुत्र
अनन्तविजयं – अनन्तविजयं [नाम का शंख बजाया]
नकुल: सहदेवश्च – (माद्री के पुत्र) नकुल और सहदेव
सुघोषमणिपुष्पकौ – क्रमशः सुघोषं और मणिपुष्पकं  [नाम के शंख बजाये]

सरल अनुवाद 

कुंती का पुत्र और राजा युधिष्ठर (धर्मपुत्र) ने अनन्तविजयं नाम का शंख बजाया। नकुल और सहदेव (जो माद्री के पुत्र हैं) ने क्रमशः सुघोषं और मणिपुष्पकं नामक शंख बजाये।

>>अध्याय १ श्लोक १.१७

अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुजदासि

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