श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय : ।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः ॥
पद पदार्थ
ऋषिकेश: – कृष्ण, इंद्रियों के नियंत्रक
पाञ्चजन्यं महाशङ्खं – पाञ्चजन्य नामक महान शंख
दध्मौ – बजाये
धनञ्जय:- अर्जुन (धन को जीतने वाला)
देवदत्तं – देवदत्तं नामक महान शंख बजाया
भीमकर्मा – भयानक कार्य करने वाले
वृकोदर: – भीमसेन
पौण्ड्रं – पौण्ड्रं नामक महान शंख बजाया
सरल अनुवाद
ऋषिकेश (इंद्रियों के नियंत्रक कृष्ण) ने पांचजन्य नामक महान शंख बजाया। धनञ्जय (अर्जुन, धन के विजेता) ने देवदत्तम नामक महान शंख बजाया। भयानक कार्य करने वाले भीमसेन ने पौण्ड्रम नामक महान शंख बजाया।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुजदासि
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