१.२ – दृष्ट्वातु

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः

अध्याय १

<<अध्याय १ श्लोक १.१

श्लोक

संजय उवाच

दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यम् उपसंगम्य राजा वचनम् अब्रवीत् ॥

पद पदार्थ

राजा दुर्योधन: – राजा दुर्योधन
व्यूढं – व्यवस्थित
पाण्डवानीकम् – पाण्डवों की सेना
दृष्ट्वातु – देख कर
तदा – उस समय
आचार्यं – द्रोणाचार्य के
उपसंगम्य – पास पहुँचे
वचनम् – इन शब्दों को
अब्रवीत् – बोले

सरल अनुवाद

संजय ने कहा – राजा दुर्योधन ,पाण्डवों की सेना को व्यवस्थित व्यूह में देखकर, द्रोणाचार्य के पास जाकर उनसे उस समय , इन शब्दों को बोले |

>>अध्याय १ श्लोक १.३

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