१.३ – पश्यैताम्

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः

अध्याय १

<<अध्याय १ श्लोक १.२

श्लोक

पश्यैतां पाण्डु पुत्राणां आचार्य महतीं चमूम् ।
व्यूढां द्रुपद पुत्रेण तव शिष्येण धीमता॥

पद पदार्थ

आचार्य – हे आचार्य !
तव शिष्येन – आपका शिष्य
धीमता – बुद्धिमान
द्रुपद पुत्रेण – धृष्टद्युम्न जो पांचाल राज्य के राजा द्रुपद के पुत्र हैं
व्यूढाम् – द्वारा आयोजित
महतीं – विशाल
एतां – यह
पाण्डु पुत्राणां चमूम् – पाण्डवों की सेना
पश्य – देखें

सरल अनुवाद

हे आचार्य ! पाण्डवों की इस विशाल सेना पर एक नज़र डालें, जिसे आपके बुद्धिमान शिष्य धृष्टद्युम्न,  जो पांचाल राज्य के राजा द्रुपद के पुत्र हैं, के द्वारा व्यवस्तिथ की गयी है |

अध्याय १ श्लोक १.४

अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुज दासी

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