१.३४ – आचार्याः पितरः पुत्रास्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

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श्लोक
आचार्याः पितरः पुत्रास्तथैव च पितामहाः ।
मातुलाः श्वशुराः पौत्राः श्यालाः सम्बन्धिनस्तथा ৷৷

पद पदार्थ

आचार्याः – गुरूजन
पितरः – पूर्वज [ पिता पक्ष के चाचा ]
पुत्रा: – बेटे
तथा – वैसे ही
पितामहाः – दादा और नाना
श्वशुराः – ससुर
पौत्राः – पोते
श्यालाः – जीजा
तथा सम्बंधिना: – और सारे रिश्तेदार

सरल अनुवाद

गुरूजन , पूर्वज [ पिता पक्ष के चाचा ], बेटे [ भाइयों के बेटे भी ] , वैसे ही दादा और नाना, ससुर ,पोते , जीजा और सारे रिश्तेदार उपस्थित हैं |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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