श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
येषाम् अर्थे काङक्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च ।
ते इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणांस्त्यक्त्वा धनानि च ৷৷
पद पदार्थ
येषाम् अर्थे – जिन आचार्यों के वास्ते
न: – हमारे लिए
राज्यं – राज्य
भोगाः – सारे सुख
सुखानि च – तथा आनंद
काङक्षितं – चाहा
ते इमे – वो सारे आचार्य
युद्धे – इस युद्ध क्षेत्र मे
प्राणां – अपने जीवन
धनानि च – तथा सम्पत्ति को
त्यक्त्वा – त्याग कर
अवस्थिता: – खड़े हैं
सरल अनुवाद
जिन आचार्यों के वास्ते हम इस राज्य, सम्पत्ति और खुशियाँ चाहते हैं वो सारे ही आचार्य अपने जीवन तथा सम्पत्ति को त्याग करने तैयार, इस युद्ध क्षेत्र मे खड़े हैं |
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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