१०.१२ भाग १ – परं ब्रह्म परं धाम

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १०

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श्लोक

अर्जुन उवाच
परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान् ।

पद पदार्थ

अर्जुन उवाच – अर्जुन ने कहा
परं ब्रह्म – परम ब्रह्म के रूप में
परं धाम – परम ज्योति के रूप में
परमं पवित्रं – (श्रुति/वेद में) परम पावन (परम शुद्ध) के रूप में जाने जाते हैं
भवान् – महाविभो !

सरल अनुवाद

अर्जुन ने कहा, “महाविभो, आप परम ब्रह्म, परम ज्योति और परम पावन (परम शुद्ध) के रूप में (श्रुति/वेद में) जाने जाते हो |”

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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