१०.२६ -अश्वत्थः सर्ववृक्षाणाम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १०

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श्लोक

अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः ।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः ॥

पद पदार्थ

सर्व वृक्षाणां – सभी पेड़ों में
अश्वत्थः – मैं भारतीय अंजीर हूँ
देवर्षीणां – देव (दिव्य) ऋषियों में
नारदः – मैं नारद हूँ
गन्धर्वाणां – गंधर्वों में
चित्ररथः – मैं चित्ररथ हूँ
सिद्धानां – उन लोगों में जिन्होंने अणिमा जैसे सिद्धि प्राप्त की हो
कपिलो मुनिः – मैं कपिल मुनि हूँ

सरल अनुवाद

सभी पेड़ों में, मैं भारतीय अंजीर हूँ ; दिव्य ऋषियों में नारद हूँ ; गंधर्वों में चित्ररथ हूँ और उन लोगों में जिन्होंने अणिमा जैसे सिद्धि प्राप्त की हो, मैं कपिल मुनि हूँ |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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