१०.२९ – अनन्तश्चास्मि नागानाम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १०

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श्लोक

अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम् ।
पितॄणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम् ॥

पद पदार्थ

नागानां – अनेक सिर वाले साँपों में
अनन्त च अस्मि – मैं अनन्त (आधिशेषन्) हूँ
यादसां – जलवासियों में
वरुण: अहम् – मैं वरुण हूँ
पितॄणां – पितरों (पूर्वजों) में
अर्यमा च अस्मि – मैं अर्यमा हूँ
संयमतां – न्यायाधीशों में
यमः अहम् – मैं यम (धर्म का देवता) हूँ

सरल अनुवाद

मैं अनेक सिर वाले साँपों में अनन्त (आधिशेषन्) हूँ ; मैं जलवासियों में वरुण हूँ; मैं पितरों (पूर्वजों) में अर्यमा हूँ ; मैं न्यायाधीशों में यम (धर्म का देवता) हूँ |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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