श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
आशापाशशतैर्बद्धाः कामक्रोधपरायणाः।
ईहन्ते कामभोगार्थमन्यायेनार्थसञ्चयान्।।
पद पदार्थ
(आसुरी लोग)
आशा पाश शतै: बद्धाः – इच्छाओं के नाम की सैकड़ों रस्सियों से बंधे होने के कारण
काम क्रोध परायणाः – काम तथा क्रोध में भली-भांति संलग्न होकर
काम भोगार्थम् – अपनी वासना की पूर्ति के लिए
अन्यायेन – गलत तरीकों से
अर्थ सञ्चयान् – धन संग्रह करने की
ईहन्ते – लालसा रखते हैं
सरल अनुवाद
इच्छाओं के नाम की सैकड़ों रस्सियों से बंधे होने के कारण और काम तथा क्रोध में भली-भांति संलग्न होकर आसुरी लोग अपनी वासना की पूर्ति के लिए गलत तरीकों से धन संग्रह करने की लालसा रखते हैं।
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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