१६.१२ – आशापाशशतैर्बद्धाः

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १६

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श्लोक

आशापाशशतैर्बद्धाः कामक्रोधपरायणाः।
ईहन्ते कामभोगार्थमन्यायेनार्थसञ्चयान्।।

पद पदार्थ

(आसुरी लोग)
आशा पाश शतै: बद्धाः – इच्छाओं के नाम की सैकड़ों रस्सियों से बंधे होने के कारण
काम क्रोध परायणाः – काम तथा क्रोध में भली-भांति संलग्न होकर
काम भोगार्थम् – अपनी वासना की पूर्ति के लिए
अन्यायेन – गलत तरीकों से
अर्थ सञ्चयान् – धन संग्रह करने की
ईहन्ते – लालसा रखते हैं

सरल अनुवाद

इच्छाओं के नाम की सैकड़ों रस्सियों से बंधे होने के कारण और काम तथा क्रोध में भली-भांति संलग्न होकर आसुरी लोग अपनी वासना की पूर्ति के लिए गलत तरीकों से धन संग्रह करने की लालसा रखते हैं।

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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