२.३ – क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय २

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श्लोक

क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदय दौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप ॥

पद पदार्थ

पार्थ – हे कुन्तीपुत्र !
क्लैब्यं – कायरता
मा स्म गमः – का अधिग्रहण मत करो
(क्योंकि )
एतत – यह
त्वयी – तुझको
न उपद्यते – शोभा नहीं देता
परन्तप – हे शत्रुवों का ध्वंसक !
क्षुद्रं – इस नीच
हृदय दौर्बल्यं – शक्तिहीन मन
त्यक्त्वा – को त्याग कर
उत्तिष्ठ – उठो

सरल अनुवाद

हे कुन्तीपुत्र ! कायरता का अधिग्रहण मत करो क्योंकि वो तुम्हारे स्वरुप को शोभा नहीं देता ; हे शत्रुवों का ध्वंसक ! इस शक्तिहीन मन को त्याग कर, उठो !

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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