६.४३ – तत्र तम् बुद्दि संयोगम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ६

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श्लोक

तत्र तं  बुद्धिसंयोगं  लभते पौर्वदैहिकम् ।
यतते च ततो भूयः संसिद्धौ  कुरुनन्दन ॥

पद पदार्थ

तत्र – उन जन्मों में
पौर्वदैहिकं – पिछले जन्म से
तं बुद्धि संयोगं – बुद्धि (योग से संबंधित)
लभते – प्राप्त करता है
कुरु नन्दन – हे कुरु के वंशज!
तत: – तत्पश्चात्
भूय: – फिर
संसिद्धौ – योग को अच्छी तरह से पूरा करना
यतते – प्रयास करता है

सरल अनुवाद

उन जन्मों में, वह पिछले जन्म से  (योग से संबंधित) बुद्धि  प्राप्त करता है  । हे कुरु के वंशज! इसके बाद, वह फिर से योग को अच्छी तरह से पूरा करने का प्रयास करता है।

अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुजदासी

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