श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन ।
भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन ॥
पद पदार्थ
अर्जुन – हे अर्जुन !
समतीतानि – भूत के
वर्तमानानि – वर्तमान के
भविष्याणि च – भविष्य के
भूतानि – सभी बद्ध आत्मा
अहम् – मैं
वेद – जानता हूँ
मां तु – लेकिन मुझे
कश्चन – उनमें से एक भी
न वेद – वास्तव में नहीं जानता
सरल अनुवाद
हे अर्जुन ! मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी बद्ध आत्माओं को जानता हूँ ; लेकिन उनमें से एक भी मुझे वास्तव में नहीं जानता |
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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