८.७ – तस्मात् सर्वेषु कालेषु

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ८

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श्लोक

तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च ।
मय्यर्पितमनोबुद्धि: मामेवैष्यस्यसंशय: ॥

पद पदार्थ

तस्मात् – इस प्रकार
सर्वेषु कालेषु – हर समय (मृत्यु तक)
माम् अनुस्मर – केवल मेरे बारे में सोचो ;
युध्य च – युद्ध में भी व्यस्त रहो ;
मय्यर्पित मनो बुद्धि: – ( इस प्रकार ) मन और बुद्धि को मुझ पर केंद्रित करके
माम एव एष्यसी – तुम मुझे प्राप्त करोगे ( अपनी इच्छानुसार ) ;
असंशय: – इसमें कोई संदेह नहीं है

सरल अनुवाद

इस प्रकार, तुम हर समय (मृत्यु तक), केवल मेरे बारे में सोचो ; युद्ध में भी व्यस्त रहो ; ( इस प्रकार ) मन और बुद्धि को मुझ पर केंद्रित करके, तुम मुझे प्राप्त करोगे ( अपनी इच्छानुसार ) ; इसमें कोई संदेह नहीं है |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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