९.१४ – सततं कीर्तयन्तो माम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ९

<< अध्याय ९ श्लोक १३

श्लोक

सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढव्रता: |
नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते ||

पद पदार्थ

मां – मेरे
भक्त्या – भक्ति के साथ
सततं – सदैव
कीर्तयन्त:- गायन में लगे रहना
दृढ व्रता: – दृढ़ निश्चय के साथ
यतन्त: च – प्रयास करना (मेरी पूजा करने में)
मां नमस्यन्त: च – मुझे प्रणाम करना
नित्य युक्ता – सदैव मेरे साथ रहने की इच्छा
उपासते – मेरा ध्यान करते हैं

सरल अनुवाद

(वे ज्ञानी) सदैव भक्ति के साथ मेरे भक्तिपूर्वक गायन में लगे, , दृढ़ निश्चय के साथ , (मेरी पूजा करने में) प्रयास करते हैं, मुझे प्रणाम करते हैं, सदैव मेरे साथ रहने की इच्छा रखते हुए , मेरा ध्यान करते हैं।

अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुज दासी

>> अध्याय ९ श्लोक १५

आधार – http://githa.koyil.org/index.php/9-14/

संगृहीत – http://githa.koyil.org

प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org