५.२३ – शक्नोतीहैव य: सोढुं
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ५ << अध्याय ५ श्लोक २२ श्लोक शक्नोतीहैव य: सोढुं प्राक्शरीरविमोक्षणात् |कामक्रोधोद्भवं वेगं स युक्त: स सुखी नर: || पद पदार्थ शरीर विमोक्षणात् प्राक् – शरीर को त्यागने से पहलेइह एव – इस वर्तमान समय में ही ( अर्थात साधन अभ्यास करने की इस अवस्था … Read more