१६.१० – काममाश्रित्य दुष्पूरं
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १६ << अध्याय १६ श्लोक ९ श्लोक काममाश्रित्य दुष्पूरं दम्भमानमदान्विताः।मोहाद्गृहीत्वाऽसद्ग्राहान्प्रवर्तन्तेऽशुचिव्रताः।। पद पदार्थ (राक्षसी लोग)दुष्पूरं – अतृप्तकामं – इच्छाओंआश्रित्य – पकड़कर (उन्हें पूरा करने के लिए)मोहात् – अज्ञान के कारणअसद्ग्राहान् – अवैध तरीकों से अर्जित धनगृहीत्वा – को पकड़करअशुचि व्रताः – शास्त्रों में स्वीकृत नहीं किए … Read more