११.१४ – तत: स विस्मयाविष्टो
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ११ << अध्याय ११ श्लोक १३ श्लोक तत: स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जय: |प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत || पद पदार्थ तत :- तत्पश्चात्स: धनञ्जय: – वह अर्जुनविस्मयाविष्ठ: – विस्मय से भर जाना (जैसा कि पिछले श्लोकों में बताया गया कृष्ण के दिव्य रूप में सब कुछ … Read more