१४.२३ – उदासीनवदासीनो
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १४ << अध्याय १४ श्लोक २० श्लोक उदासीनवदासीनो गुणैर्यो न विचाल्यते |गुणा वर्तन्त इत्येव योऽवतिष्ठति नेङ्गते || पद पदार्थ य:- जो कोई भीउदासीनवत् आसीन: – उदासीन रहता (आत्मा के अलावा अन्य विषयों पर जैसे कि पहले बताया गया है)गुणै: – तीन गुणों सेन विचाल्यते – … Read more