श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
तस्य सञ्जनयन् हर्षं कुरुवृद्ध: पितामहः ।
सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् ॥
पद पदार्थ
प्रतापवान्– जो अत्यंत वीर हो
कुरुवृद्धः- कुरु वंश के सर्वश्रेष्ठ वंशज
पितामह:- पितामह भीष्म
तस्य – दुर्योधन को
हर्षं – आनंद
सञ्जनयन् – लाने के लिए
उच्चै :- उच्च स्वर में
सिंहनाध्म विनध्य – सिंह की तरह दहाड़ना
शङ्खं – शंख
दध्मौ – बजाया
सरल अनुवाद
महापराक्रमी और कुरु वंश के सर्वश्रेष्ठ वंशज, पितामह भीष्म , दुर्योधन को आनंद लाने के लिए सिंह के समान दहाड़ते हुए उच्च स्वर में अपना शंख बजाया |
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुजदासि
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