१.११ – अयनेषु च

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १ 

< < अध्याय १  श्लोक १० 

श्लोक

अयनेषु च सर्वेषु  यथाभागमवस्थिताः ।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि ॥

पद पदार्थ

सर्वे एव भवन्त: – आप सभी
सर्वेषु अयनेषु च –  (व्यूह (पंक्ति) में प्रवेश करने की ) सभी मार्गों में
यथाभागं  अवस्थिता: – अपने पदों को छोड़े बिना
भीष्मं  एव –   भीष्म को ही 
अभिरक्षन्तु – चारों ओर से घेरकर रक्षा करें

सरल अनुवाद

आप सभी (व्यूह (पंक्ति) में प्रवेश करने की ) सभी मार्गों में अपने पदों को छोड़े बिना भीष्म को ही चारों ओर से घेरकर उनकी रक्षा करें।

>>अध्याय १ श्लोक १.१२

अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुजदासि

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