श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखा : ।
सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोSभवत् ॥
पद पदार्थ
तत: – बाद में
शङ्खा: च भेर्य: च पणव अनाक गोमुख: – विभिन्न वाद्य यंत्र जैसे शंख , भेरी (केतली-ढोल), पणव (छोटा-ढोल), अनाक (दोहरा ढोल ), गोमुख (गाय – सिंघ )
सहसा एव – तुरंत
अभ्यहन्यन्त – ध्वनि पैदा की
स: शब्द: – वह शोर
अभवत् – बहुत जोर से था
सरल अनुवाद
इसके बाद, शंख (शंख), भेरी (केतली-ढोल), पणव (छोटा-ढोल), अनाक (दोहरा ढोल), गोमुख (गाय-सिंघ) जैसे विभिन्न वाद्य यंत्रों को तुरंत शोर करने के लिए जोर से बजाया गया।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुजदासि
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