श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
सञ्जय उवाच –
एवं उक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम् ॥
पद पदार्थ
सञ्जय उवाच – संजय ने कहा
भारत – हे भरत वंश में जनित धृतराष्ट्र !
हृषीकेश – कृष्ण जो इंद्रियों के नियंत्रक हैं
गुडाकेशेन – अर्जुन (जिसने निद्रा पर विजय प्राप्त की है) द्वारा
एवं – इस प्रकार
उक्तः- बोले गए
उभयो: सेनाओ: मध्ये – दोनों सेनाओं के बीच
रथोत्तमम् – सर्वश्रेष्ठ रथ (अर्जुन का)
स्थापयित्वा – स्थित किया
सरल अनुवाद
संजय ने धृतराष्ट्र से कहा – हे भरत कुल में जन्म लेने वाले धृतराष्ट्र! अर्जुन (जिसने नींद पर जीत हासिल की है) से कृष्ण द्वारा (इंद्रियों के नियंत्रक)इस प्रकार कही गयी बातों (के अनुसार ) दोनों सेनाओं की बीच (अर्जुन के) सर्वश्रेष्ठ रथ को खड़ा किया ।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुजदासि
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