श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
आयुस्सत्व बलारोग्य सुखप्रीतिविवर्धना: |
रस्या: स्निग्धा: स्थिरा हृद्या आहारास्सात्विकप्रिया: ||
पद पदार्थ
आयु: सत्व बलारोग्य सुखप्रीतिविवर्धना: – जीवन, ज्ञान, शक्ति, स्वास्थ्य, सुख और आनंद का पोषण
रस्या: – मिठास से भरे
स्निग्धा:- चिकनापन से युक्त
स्थिरा: – स्थायी भलाई की ओर ले जाते
हृद्या – आँखों को प्रसन्न करते
आहारा:- खाद्य पदार्थ
सात्विक प्रिया: – सात्विक (सत्वगुणी लोग) को प्रिय
सरल अनुवाद
जो खाद्य पदार्थ जीवन, ज्ञान, शक्ति, स्वास्थ्य, सुख और आनंद का पोषण करते हैं, मिठास से भरे होते हैं, चिकनापन से युक्त होते हैं, स्थायी भलाई की ओर ले जाते हैं और आंखों को प्रसन्न करते हैं, वे सात्विक लोगों को प्रिय होते हैं।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुज दासी
आधार – http://githa.koyil.org/index.php/17-8/
संगृहीत – http://githa.koyil.org
प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org