२.१० – तम् उवाच हृषीकेशः

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय २

<<अध्याय २ श्लोक ९

श्लोक

तमुवाच हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं वचः ॥

पद पदार्थ

भारत – हे भरतवंशी धृतराष्ट्र!
हृषीकेशः – कृष्ण
प्रहसन्निव – मुस्कुराते हुए
उभयो: सेनयो: मध्ये – दोनों सेनाओं के बीच में
विषीदन्तम्- शोक पीडित
तं – अर्जुन के प्रति
इदं वचः – यह वचन
उवाच – बोले

सरल अनुवाद

हे भरतवंशी धृतराष्ट्र ! दोनों सेनाओं के बीच में खड़ा, शोक पीडित अर्जुन के प्रति, कृष्ण, मुस्कुराते हुए यह वचन बोले |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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