श्लोक
तत्त्ववित्तु महाबाहो गुण कर्म विभागयोः ।
गुणा गुणेषु वर्तन्त इति मत्वा न सज्जते ॥
पद पदार्थ
महाबाहो – हे बलिष्ठ भुजाओं वाला !
गुण कर्म विभागयोः तत्त्ववित्तु – जो कर्म तथा गुण के वर्णीकरण को समझे
गुणा: – तीन गुण – सत्व , रजस , तमस
गुणेषु – अपने कर्तव्यों में
वर्तन्ते – व्यस्त रहते हैं
इति – इस प्रकार
मत्वा – समझकर
न सज्जते – अनुराग और प्रीति रहित
सरल अनुवाद
हे बलिष्ठ भुजाओं वाला ! जो कर्म तथा गुण के वर्णीकरण को ( सत्व , रजस , तमस इस प्रकार ) समझे , वो अपने कर्तव्यों में अनुराग और प्रीति रहित व्यस्त रहते हैं ( स्वयं को कर्ता नहीं समझेंगे ) |
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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