३.३४ – तयोर्न वशमागच्छेत्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ३

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श्लोक

तयोर्न वशमागच्छेत् तौ ह्यस्य परिपन्थिनौ

पद पदार्थ

तयो: – प्रेम और क्रोध
वशं न आगच्छेत् – कोई भी वशीभूत नहीं होना चाहिए
तौ – वो प्रेम और क्रोध
अस्य – मुमुक्षु के लिए , जो कि ज्ञान योग का अनुयायी हो
परिपन्थिनौ हि – अपराजित शत्रु हैं

सरल अनुवाद

प्रेम और क्रोध से कोई भी वशीभूत नहीं होना चाहिए ; वो एक मुमुक्षु के लिए , जो कि ज्ञान योग का अनुयायी हो , अपराजित शत्रु हैं |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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