श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः ।
येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम् ॥
पद पदार्थ
महारथाः – वीर शत्रु
त्वां – तुम
भयात् – भयभीत
रणादुपरतं – रण भूमि से भाग गये
मंस्यन्ते – सोचेंगे
येषां – जिन महावीरों को
त्वं – तुम
बहुमत: भूत्वा – पहले आदरणीय थे
(तेषां – उनके लिए )
लाघवं यास्यसि – उनके दृष्टिकोण में तुच्छ दिखोगे
सरल अनुवाद
वीर शत्रु समझेंगे कि तुम भयभीत, रण भूमि से भाग गये ; जो पहले तुम्हारे आदर करते थे ; अब उनके दृष्टिकोण में तुम तुच्छ दिखोगे |
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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