श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥
पद पदार्थ
श्रेष्ठ: – उत्तम व्यक्ति (ज्ञान और अनुष्ठान (ज्ञान के अनुप्रयोग) में)
यद् यद् – जो भी कर्म
आचरति – वह पालन करता है
तत् तत् एव – वही कर्म
इतर: जन: – सामान्य लोग
आचरति – अनुचरण करते हैं
स: – वह श्रेष्ठ व्यक्ति
यत् प्रमाणम् – जिस प्रकार से (वे कार्य)
कुरुते – करता है
लोका:- दुनिया के आम लोग
तत् (एव) – केवल इतना ही
अनुवर्तते – अनुसरण करतें हैं
सरल अनुवाद
एक उत्तम (ज्ञान और अनुष्ठान में) व्यक्ति जो कार्य करता है, सामान्य लोग भी वही कार्य करते हैं। वह श्रेष्ठ व्यक्ति जिस प्रकार से उन कार्यों को करता है, संसार के सामान्य मनुष्य भी उसी का अनुसरण करते हैं।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामनुजदासी
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