श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
तत्रापश्यत् स्तिथां पार्थः पितॄनथ पितामहान् ।
आचार्यान् मातुलान् भ्रातॄन् पुत्रान् पौत्रान् सखींस्तथा ||
पद पदार्थ
अथ – तत्पश्चात्
तत्र – उधर
पार्थ: – अर्जुन
पितॄन् – पूर्वज [ पिता पक्ष के चाचा ]
पितामहान् – दादा [ जैसे पितामह ]
आचार्यान् – गुरु [ जैसे द्रोणाचार्य ]
मातुलान् – माता पक्ष के मामा
भ्रातॄन् – भाई बंधु
पुत्रान् – बेटे [ अपने और भाइयों के बेटे ]
पौत्रान् – पोते
सखीं – दोस्तों
अपश्यत् – देखा
सरल अनुवाद
तत्पश्चात वहां ( युद्ध क्षेत्र में ) अर्जुन ने अपने पूर्वजों [ पिता पक्ष के चाचा ] , दादा , गुरु , माता पक्ष के मामा , भाई बंधु, बेटे , पोते और दोस्तों को देखा…..
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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