श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
अर्जुन उवाच
किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम ।
अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते ॥
पद पदार्थ
अर्जुन उवाच – अर्जुन ने कहा
पुरुषोत्तम – हे पुरुषोत्तम !
तद् ब्रह्म किं – ब्रह्म किसे कहते हैं ?
अध्यात्मं किं – अध्यात्मं किसे कहते हैं ?
कर्म किं – कर्म किसे कहते हैं ?
अधिभूतं किं प्रोक्तं – अधिभूतं जिसे कहा जाता है, वह क्या है ?
अधिदैवं च किम् उच्यते – और अधिदैवं किसे कहते हैं ?
सरल अनुवाद
अर्जुन ने कहा , हे पुरुषोत्तम ! ब्रह्म किसे कहते हैं ? अध्यात्मं किसे कहते हैं ? कर्म किसे कहते हैं ? अधिभूतं जिसे कहा जाता है, वह क्या है ? और अधिदैवं किसे कहते हैं ?
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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