१३.३० – यदा भूतपृथग्भावम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक २९ श्लोक यदा भूतपृथग्भावम् एकस्थम् अनुपश्यति।तत एव च विस्तारं ब्रह्म सम्पद्यते तदा।। पद पदार्थ भूत पृथग्भावम् – जीवात्माओं और विभिन्न प्रकार के शरीरों जैसे देव, मनुष्य , तिर्यक और स्थावर के संयोजन में विविधताएकस्थम् – एक ही वस्तु (अतार्थ प्रकृति … Read more