१२.५ – क्लेशोऽधिकतर: तेषाम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १२ << अध्याय १२ श्लोक ४ श्लोक क्लेशोऽधिकतरस्तेषामव्यक्तासक्तचेतसाम्।अव्यक्ता हि गतिर्दुःखं देहवद्भिरवाप्यते।। पद पदार्थ अव्यक्ता सक्त चेतसां तेषां – उन कैवल्य निष्ठाओं, जो जीवात्मा स्वरूप की प्राप्ति में लगे रहते हैंक्लेश: – कठिनाइयाँअधिकतर: – ज्ञानियों से भी अधिक होती हैअव्यक्ता गति: – आत्मा में लीन होने … Read more