११.३३ – तस्मात् त्वम् उत्तिष्ठ यशो लभस्व

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ११ << अध्याय ११ श्लोक ३२ श्लोक तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो लभस्व जित्वा शत्रून् भुङ्क्ष्व राज्यं समृद्धम्।मयैवैते निहताः पूर्वमेव निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्।। पद पदार्थ तस्मात् – उपर्युक्त कारण सेत्वम् – तुमउत्तिष्ठ – उठो (लड़ने के लिए)शत्रून् जित्वा यश: लभस्व – शत्रुओं को परास्त करके यश प्राप्त करोसमृद्धं … Read more

११.३२ – कालोऽस्मि लोकक्षयकृत् प्रवृद्धो

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ११ << अध्याय ११ श्लोक ३१ श्लोक श्री भगवानुवाचकालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।ऋतेऽपि त्वा न भविष्यन्ति सर्वे येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः।। पद पदार्थ श्री भगवानुवाच – श्री भगवान कहते हैंलोकक्षयकृत – इस संसार की (राक्षसी) भूमि का नाश करने के लिएप्रवृद्ध – मैं जो इस भयानक रूप … Read more

११.३१ – आख्याहि मे को भवानुग्ररूपो

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ११ << अध्याय ११ श्लोक ३० श्लोक आख्याहि मे को भवानुग्ररूपो नमोऽस्तु ते देववर प्रसीद।विज्ञातुमिच्छामि भवन्तमाद्यं न हि प्रजानामि तव प्रवृत्तिम्।। पद पदार्थ देववर – हे देवताओं में श्रेष्ठ !उग्र रूप भवान् – तुम जो अत्यंत उग्र रूप वाले होक: – तुम क्या करना चाहते … Read more

११.३० – लेलिह्यसे ग्रसमानः समन्तात्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ११ << अध्याय ११ श्लोक २९ श्लोक लेलिह्यसे ग्रसमानः समन्ताल्लोकान् समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भिः।तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रं भासस्तवोग्राः प्रतपन्ति विष्णो।। पद पदार्थ विष्णो – हे विष्णु!समग्रान् लोकान् – सभी योद्धाओंज्वलद्भिः वदनै: – उग्र मुखोंग्रसमानः – भस्मसमन्तात् लेलिह्यसे – चारों ओर से बार-बार चाट रहे होत्व – तुम्हारेउग्र भास – प्रचण्ड … Read more

११.२९ – यथा प्रदीप्त ज्वलनं पतङ्गा:

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ११ << अध्याय ११ श्लोक २८ श्लोक यथा प्रदीप्त ज्वलनं पतङ्गा: विशन्ति नाशाय समृद्धवेगाः।तथैव नाशाय विशन्ति लोका: तवापि वक्त्राणि समृद्धवेगाः।। पद पदार्थ समृद्धवेगाः – तीव्र गति सेपतङ्गा: – पतंगेप्रदीप्त ज्वलनं – धधकती आग मेंयथा नाशाय विशन्ति – जिस प्रकार प्रवेश करते हैंतथैव – उसी प्रकारसमृद्ध … Read more

श्री भगवद्गीता का सारतत्व – अध्याय १० (विभूति विस्तार योग)

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री भगवद्गीता – प्रस्तावना << अध्याय ९ गीतार्थ संग्रह के चौदहवें श्लोक में, स्वामी आळवन्दार दसवें अध्याय का सारांश समझाते हुए कहते हैं, “साधना भक्ति [भगवान को पाने के साधन के रूप में भक्ति योग की प्रक्रिया] को प्रकट करने और उसका पोषण करने के लिए, … Read more

श्री भगवद्गीता का सारतत्व – अध्याय ९ (राजविद्या राजगुह्य योग)

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री भगवद्गीता – प्रस्तावना << अध्याय ८ गीतार्थ संग्रह के तेरहवें श्लोक में स्वामी आळवन्दार नौवें अध्याय का सारांश समझाते हुए कहते हैं, “ नौवें अध्याय में उनकी अपनी महानता, उनका मानव रूप में भी सर्वोच्च होना, उन ज्ञानियों की महानता जो महात्मा हैं (इनके साथ) … Read more

श्री भगवद्गीता का सारतत्व – अध्याय ८ (अक्षर परब्रह्म योग)

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री भगवद्गीता – प्रस्तावना << अध्याय ७ गीतार्थ संग्रह के बारहवे श्लोक में स्वामी आळवन्दार् , भगवद्गीता के आठवे अध्याय की सार को समझाते हैं, ” आठवे अध्याय में, तीन प्रकार के भक्तों, अर्थात् ऐश्वर्यार्थी जो भौतिक संपत्ति की इच्छा रखते हैं, कैवल्यार्थी जो भौतिक शरीर … Read more

१०.४२ – अथवा बहुनैतेन

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १० << अध्याय १० श्लोक ४१ श्लोक अथवा बहुनैतेन किं ज्ञानेन तवार्जुन।विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्।। पद पदार्थ अर्जुन – हे अर्जुन !अथवा – मगरबहुना एतेन ज्ञानेन – इस ज्ञान का, जो कई अलग-अलग तरीकों से समझाया गया हैतव किं – तुम्हारे लिए क्या उपयोग है … Read more

१०.४१ – यद् यद् विभूतिमत्सत्त्वं

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १० << अध्याय १० श्लोक ४० श्लोक यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा।तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंशसंभवम्।। पद पदार्थ यद् यद् सत्त्वं – जिस जिस प्राणीविभूतिमत् – ऐसी महिमा है जो उसके द्वारा नियंत्रित होती हैश्रीमत् – तेजस्विता युक्तऊर्जितम् एव वा – शुभ कार्यों के आरंभ हेतु स्थिर रहता … Read more