१२.३ – ये त्वक्षरम् अनिर्देश्यम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १२ << अध्याय १२ श्लोक २ श्लोक ये त्वक्षरमनिर्देश्यमव्यक्तं पर्युपासते।सर्वत्रगमचिन्त्यं च कूटस्थमचलं ध्रुवम्।। पद पदार्थ अनिर्देश्यं – अनिर्वचनीय है (क्योंकि वह शरीर से भिन्न है, तथा जिसे देवता, मनुष्य आदि नहीं कहा जा सकता)अव्यक्तं – अविवेचनीय है (क्योंकि वह नेत्रों आदि इन्द्रियों से नहीं देखा … Read more