१८.७८ – यत्र योगेश्वर: कृष्णो
श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १८ << अध्याय १८ श्लोक ७७ श्लोक यत्र योगेश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर: |तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम || पद पदार्थ यत्र – जहाँयोगेश्वर: – समस्त महिमाओं का नियन्त्रक हैंकृष्ण: – कृष्ण (उपस्थित हैं)यत्र – जहाँधनुर्धर: – धनुष धारण किए हुएपार्थ: – अर्जुन (उपस्थित हैं)तत्र – वहाँश्री: – … Read more