५.२१ – बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ५ << अध्याय ५ श्लोक २० श्लोक बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा विन्दत्यात्मनि यत्सुखम् |स ब्रह्मयोगयुक्तात्मा सुखमक्षयमश्नुते || पद पदार्थ य: – वह कर्म योगीबाह्य स्पर्शेषु – बाहरी इन्द्रिय सुखोंअसक्तात्मा – से स्वाधीनआत्मनि – आत्मा में ( जो अन्तर्निवासित है )सुखम् – आनंदविन्दति – प्राप्त करता हैस: – वहब्रह्म … Read more