९.५ – न च मत्स्थानि भूतानि
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ९ << अध्याय ९ श्लोक ४ श्लोक न च मत्स्थानि भूतानि पश्य मे योगमैश्वरम् |भूतभृन्न च भूतस्थो ममात्मा भूतभावन: || पद पदार्थ मत्स्थानि न च – वे मुझमें नहीं हैं (जैसे पानी को घड़े आदि के सहारे रखा जाता है ,लेकिन वे मेरी इच्छा से … Read more