श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
स घोषो धार्तराष्ट्राणां ह्रुदयानि व्यदारयत् ।
नभश्च पृथिवीम् चैव तुमुलो व्यनुनादयन् ॥
पद पदार्थ
नभ: च – आकाश
पृथिवीम् च एव – और पूरी पृथ्वी भी
व्यानुनादयन् – जिससे गूँज उठा
तुमुल: सघोषा: – शंखों की ध्वनि जो एक साथ बजे
धार्तराष्ट्राणाम् – धृतराष्ट्र के पुत्र
हृदयायनी – (उनके) हृदय
व्याधरायत – उन्हें खंडित कर दिया
सरल अनुवाद
शंखों के एक साथ बजने से उठा जो गूँज सम्पूर्ण आकाश और पृथ्वी को भरा दिया, वही गूँज धृतराष्ट्र पुत्रों के हृदय को चूर चूर कर दिया।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुजदासि
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