१.३९ – कथं न ज्ञेयम्‌ अस्माभिः

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

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श्लोक

कथं न ज्ञेयम्‌ अस्माभिः पापादस्मान्निवर्तितुम्‌ ।
कुल क्षय कृतं दोषं प्रपश्यद्भिर्जनार्दन ৷৷

पद पदार्थ

जनार्दन – हे जनार्दन !
कुल क्षय कृतं दोषं – एक कुल वंश को पराजित करने का गलत कार्य
प्रपश्यद्भि: – जिनको साफ़ दिखता है
अस्माभिः – हमें
अस्मात् पापात् – पहले बताये गए दो प्रकार के पाप
निवर्तितुं – से बचके रहना
कथं न ज्ञेयम्‌ – कैसे अपरिचित रह सकते हैं

सरल अनुवाद

हे जनार्दन ! जब हमें एक कुलवंश को पराजित करने का गलत कार्य साफ़ दिखता है तो पहले बताये गए दो प्रकार के पाप से बचके रहने के तरीके से कैसे अपरिचित रह सकते हैं ?

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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