१.८ – भवान् भीष्मश्च

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

<< अध्याय १ श्लोक ७

श्लोक

भवान् भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च  समितिञ्जयः।
अश्वत्थामा विकर्णश्च  सौमदत्तिस्तथैव  च ॥

पद पदार्थ 

भवान् – आप (द्रोणाचार्य)
भीष्म: च – और भीष्म
कर्ण: च – और कर्ण
समितिञ्जय : कृपा: च – विजयी कृपाचार्य
अश्वत्थामा – द्रोणाचार्य के पुत्र, अश्वत्थामा
विकर्ण :  च – और  (भाई) विकर्ण
सौमदत्ति  – सोमदत्त का पुत्र

सरल अनुवाद

आप (द्रोणाचार्य), भीष्म, कर्ण, विजयी कृपाचार्य, द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा, (मेरा  भाई) विकर्ण और सोमदत्त का  पुत्र (उपस्थित हैं)।

>>अध्याय १ श्लोक ९

अडियेन् कण्णममाळ् रामानुज दासि

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