श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
भवान् भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥
पद पदार्थ
भवान् – आप (द्रोणाचार्य)
भीष्म: च – और भीष्म
कर्ण: च – और कर्ण
समितिञ्जय : कृपा: च – विजयी कृपाचार्य
अश्वत्थामा – द्रोणाचार्य के पुत्र, अश्वत्थामा
विकर्ण : च – और (भाई) विकर्ण
सौमदत्ति – सोमदत्त का पुत्र
सरल अनुवाद
आप (द्रोणाचार्य), भीष्म, कर्ण, विजयी कृपाचार्य, द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा, (मेरा भाई) विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र (उपस्थित हैं)।
अडियेन् कण्णममाळ् रामानुज दासि
आधार – http://githa.koyil.org/index.php/1-8/
संगृहीत- http://githa.koyil.org
प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org