२.२३ – नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय २

<<अध्याय २ श्लोक २२

श्लोक

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥

पद पदार्थ

शस्त्राणि – शस्त्र ( जैसे चाकू इत्यादि )
एनं – यह आत्मा
न छिन्दन्ति – काटा नहीं जा सकता
पावकः – अग्नि
एनं – यह आत्मा
न दहति – जलकर राख नहीं होगा
आप: – जल
एनं – यह आत्मा
न क्लेदयन्ति – घुलके नाश नहीं होगा
मारुतः – वायु
एनं – यह आत्मा
न शोषयति – सूखके क्षीण नहीं होगा

सरल अनुवाद

यह आत्मा शस्त्रों ( जैसे चाकू इत्यादि ) से काटा नहीं जा सकता , अग्नि में जलकर राख नहीं होगा, जल में घुलके नाश नहीं होगा, वायु में सूखके क्षीण नहीं होगा |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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