२.२८ – अव्यक्तादीनि भूतानि

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय २

<<अध्याय २ श्लोक २७

श्लोक

अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत ।
अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना ॥

पद पदार्थ

भारत – हे अर्जुन !
भूतानि – सभी आकार जैसे देव एवं मनुष्य इत्यादि
अव्यक्तादीनि – अप्रत्यक्ष प्रधान स्थिति
व्यक्तमध्यानि – प्रत्यक्ष मध्य स्थिति
अव्यक्तनिधनानि एव – और अप्रत्यक्ष अंतिम स्थिति
तत्र – इस विषय पर
परिदेवना – पीड़ित हो रहे हो
का – क्यों

सरल अनुवाद

हे अर्जुन ! सभी आकार जैसे देव एवं मनुष्य इत्यादि अप्रत्यक्ष प्रधान स्थिति, प्रत्यक्ष मध्य स्थिति और अप्रत्यक्ष अंतिम स्थिति धारण करते हैं | इस विषय पर क्यों पीड़ित हो रहे हो ?

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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