श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
सन्यासस्तु महाबाहो दुःखमाप्तुमयोगतः ।
योगयुक्तो मुनिर्ब्रह्म नचिरेणाधिगच्छति ॥
पद पदार्थ
महाबाहो –हे शक्तिशाली भुजाओं वाला !
सन्यास: तु – ज्ञान योग
अयोगतः – पहले कर्म योग किए बिना
आप्तुं दुःखं – प्राप्त करना कठिन;
योग युक्त: – कर्म योग का अभ्यासी
मुनि: – आत्मा पर ध्यान करते हुए
नचिरेणा – कम समय में
ब्रह्म – आत्मा जो महान है
अधिगच्छति – आसानी से प्राप्त कर लेता है
सरल अनुवाद
हे शक्तिशाली भुजाओं वाला ! पहले कर्मयोग किए बिना ज्ञानयोग प्राप्त करना कठिन है; लेकिन कर्मयोग का अभ्यासी, आत्मा पर ध्यान करते हुए, कम समय में ही आसानी से उस महान आत्मा को प्राप्त कर लेता है ।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामनुजदासी
आधार – http://githa.koyil.org/index.php/5.6
संगृहीत – http://githa.koyil.org
प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org