१.२१ – हृषीकेशं तदा वाक्यं

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १ 

< < अध्याय १  श्लोक २०

श्लोक

हृषीकेशं तदा वाक्यं इदमाह महीपते ।
अर्जुन उवाच –
सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मे’च्युत ॥

पद पदार्थ

महीपते  – हे पृथ्वी के नेता!
हृषीकेशं – कृष्ण से ,जो हृषीकेश (इंद्रियों के नियंत्रक) के नाम से जाने जाते हैं
इदं  – इस प्रकार (इस)
वाक्यं  – शब्द/वाक्य
आह – बोला
अच्युत – ओ अच्युत! (जो अपने भक्तों के साथ अटल रहतें हैं )!
उभयो: सेनाओ: मध्ये – दोनों सेनाओं के बीच 
मे  – मेरे 
रथं – रथ को
स्थापय –  स्थापित करें

सरल अनुवाद

(संजय ने कहा) हे  पृथ्वी के नेता (धृतराष्ट्र,)!  अर्जुन ने कृष्ण से इस प्रकार (इस) वाक्य  कहे “हे अच्युत! मेरे रथ को दोनों सेनाओं  के बीच  खड़ा करें।”

>>अध्याय १ श्लोक १.२२


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