१.४२ – सङ्करो नरकायैव

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

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श्लोक

सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च ।
पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः ৷৷

पद पदार्थ

सङ्कर: – वर्णों में मिश्रण आने पर
कुलघ्नानां – जिसने कुल को नष्ट किया है
कुलस्य च – और उस सारे कुल को
नरकाय एव – केवल नरक की प्राप्ति
पितर: – कुल के पूर्वज
लुप्तपिण्डोदकक्रियाः – श्रार्द्ध के समय अर्पण किये जाने वाले अन्न तथा जल से वंचित हो जाते हैं
पतन्ति – अति नीच लोक/गृह पर गिर जाते हैं

सरल अनुवाद

वर्णों में मिश्रण होने पर कुल को नष्ट करने वाले तथा उस सारे कुल को केवल नरक की प्राप्ति होती है | ऐसे कुल के पूर्वज , श्रार्द्ध के समय अर्पण किये जाने वाले अन्न तथा जल से वंचित हो जाते हैं और अति नीच लोक/गृह पर गिर जाते हैं |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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