५.६ – सन्यासस् तु महाबाहो

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ५

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श्लोक

सन्यासस्तु महाबाहो दुःखमाप्तुमयोगतः ।
योगयुक्तो मुनिर्ब्रह्म नचिरेणाधिगच्छति ॥

पद पदार्थ

महाबाहो –हे शक्तिशाली भुजाओं वाला !
सन्यास: तु  – ज्ञान योग
अयोगतः – पहले कर्म योग किए बिना
आप्तुं  दुःखं  – प्राप्त करना कठिन;
योग युक्त: – कर्म योग का अभ्यासी
मुनि: – आत्मा पर ध्यान करते हुए
नचिरेणा – कम  समय में
ब्रह्म – आत्मा जो महान है
अधिगच्छति – आसानी से प्राप्त कर लेता है

सरल अनुवाद

हे शक्तिशाली भुजाओं वाला ! पहले कर्मयोग किए बिना ज्ञानयोग प्राप्त करना कठिन है; लेकिन कर्मयोग का अभ्यासी, आत्मा पर ध्यान करते हुए, कम समय में ही आसानी से  उस महान आत्मा को प्राप्त कर लेता है ।

अडियेन् कण्णम्माळ् रामनुजदासी

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