८.३ – अक्षरं ब्रह्म परमम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक २ श्लोक श्रीभगवान उवाचअक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते।भूतभावोद्भवकरो विसर्गः कर्मसंज्ञित: ॥ पद पदार्थ श्री भगवान उवाच – श्री कृष्ण ने कहाब्रह्म – ब्रह्म हैपरमम् अक्षरं – वो आत्मा जो पदार्थ के किसी भी संबंध से मुक्त हो जाता हैअध्यात्मं – अध्यात्मं … Read more

८.२ – अधियज्ञः कथं कोऽत्र

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक १ श्लोक अधियज्ञः कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन ।प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभिः ॥ पद पदार्थ मधुसूदन – जिसने मधु नाम राक्षस को मारा !अत्र अस्मिन् देहे – इंद्र इत्यादि में , जो शास्त्र में आपके शरीर के रूप में जाने जाते … Read more

८.१ – किं तद् ब्रह्म किम् अध्यात्मम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ७ श्लोक ३० श्लोक अर्जुन उवाचकिं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम ।अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते ॥ पद पदार्थ अर्जुन उवाच – अर्जुन ने कहापुरुषोत्तम – हे पुरुषोत्तम !तद् ब्रह्म किं – ब्रह्म किसे कहते हैं ?अध्यात्मं किं – अध्यात्मं किसे कहते … Read more

अध्याय ८ – अक्षर परब्रह्म योग (या) परिवर्तनहीन् परब्रह्म का मार्ग

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः << अध्याय ७ भगवद् रामानुज आळवार् तिरुनगरी में , श्रीपेरुम्बुदूर् में , श्रीरंगम् में और तिरुनारायणपुरम् में >> अध्याय ९ आधार – http://githa.koyil.org/index.php/8/ संगृहीत – http://githa.koyil.org प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.orgप्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.orgप्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.orgश्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org

७.३० – साधिभूताधिदैवं माम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ७ << अध्याय ७ श्लोक २९ श्लोक साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदुः ।प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतसः ॥ पद पदार्थ ये – ऐश्वर्यार्थी ( जो लोग सांसारिक धन की इच्छा रखते हैं )स अधिभूत अधिदैवं – अधिभूत और अधिदैव गुणों से युक्त [ इन्हें … Read more

७.२९ – जरामरणमोक्षाय

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ७ << अध्याय ७ श्लोक २८ श्लोक जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये ।ते ब्रह्य तद्विदुः कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम् ॥ पद पदार्थ जरा मरण मोक्षाय – आत्मानुभव रूप मोक्ष (आत्मानंद रूप मुक्ति) पाने के लिए , अस्तित्व के छह पहलुओं जैसे वृद्धावस्था, मृत्यु इत्यादि से मुक्त होने … Read more

७.२८ – येषां त्वन्तगतं पापं

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ७ << अध्याय ७ श्लोक २७ श्लोक येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् ।ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता: भजन्ते मां दृढव्रताः ॥ पद पदार्थ पुण्यकर्मणां येषां तु जनानां – जिन आत्माओं ने बहुत अधिक पुण्य कर्म किये हैंपापं अन्त गतं – जब ( उनके ) पाप ( जैसे पहले … Read more

७.२७ – इच्छाद्वेषसमुत्थेन

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ७ << अध्याय ७ श्लोक २६ श्लोक इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत ।सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप ॥ पद पदार्थ भारत – हे भरत वंशी !परन्तप – हे शत्रुओं का अत्याचारी !इच्छाद्वेष समुत्थेन – कुछ ( लौकिक विषयों ) पहलुओं के प्रति पसंद और कुछ पहलुओं के … Read more

७.२६ – वेदाहं समतीतानि

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ७ << अध्याय ७ श्लोक २५ श्लोक वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन ।भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन ॥ पद पदार्थ अर्जुन – हे अर्जुन !समतीतानि – भूत केवर्तमानानि – वर्तमान केभविष्याणि च – भविष्य केभूतानि – सभी बद्ध आत्माअहम् – मैंवेद – जानता … Read more

७.२५ – नाहं प्रकाशः सर्वस्य

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ७ << अध्याय ७ श्लोक २४ श्लोक नाहं प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः ।मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् ॥ पद पदार्थ योगमाया समावृतः अहम् – मैं , जो मनुष्य रूप धारण किया हूँ , माया ( अद्भुत सामर्थ्य ) से आवृतसर्वस्य – इस दुनिया में अधिकतम लोगों के … Read more