४.२ – एवं परम्परा प्राप्तम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक १ श्लोक एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदु:।स कालेनेह महता योगो नष्ट: परन्तप ।। पद पदार्थ परन्तप – हे शत्रुओं का उत्पीड़क !एवं – इस प्रकारपरम्परा प्राप्तम् – पुत्र / पौत्र के रूप में उत्तरधिकारी के माध्यम से सिखाया गयाइमं – यह … Read more