२.५० – बुद्धियुक्तो जहातीह
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ४९ श्लोक बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते ।तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम् ॥ पद पदार्थ इह – कर्म करते हुएबुद्धियुक्त: – बुद्धिमान (जो पहले समझाया गया )उभे सुकृत दुष्कृते – पुण्य और पाप दोनों कोजहाति – त्याग देता हैतस्मात् – इस प्रकारयोगाय … Read more